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Founder

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शुरुवात 1997 में पश्चिमी भारत में जन्मी अदिति एक उपहार स्वरूप बच्ची थी। चार साल की उम्र तक, वह भगवान शिव के लिए एक प्राचीन संस्कृत 16 श्लोक प्रार्थना शिव तांडव के कुछ हिस्सों को सुनाने में सक्षम थी। और बचपन से ही वह पढ़ाई में औसत है लेकिन वह हरफनमौला व्यक्तित्व रखती है और एक अनोखी विचारधारा भी रखती है। हो सकता है कभी-कभी वह उन लोगों के लिए समझने के लिए जटिल होती है, जो अपने विचारों में पाश्चात्यकरण के साथ प्रभावपूर्ण जुड़ाव रखते थे। अदिति के पहले शिक्षक, ब्रह्मलीन श्री गिरजानंद सरस्वती जी, जिनकी विभिन्न भाषाओं, आध्यात्म, सभी चार वेदों और सनातन धर्म में मजबूत पकड़ थी। 2016 में अठारह वर्ष की आयु तक, उसने मेडिकल प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और भविष्य के डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता बनने की एक पंक्ति में शामिल हो गई।

अपने कॉलेज के जीवन में NGO 'लोकोपकार सेवा वाटिका वेलफेयर सोसाइटी' की स्थापना की और अपने स्वयं के विश्वविद्यालय के छात्रों के कल्याण और सहपाठको व अन्य छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए, एक आंतरिक छात्र संघ 'इंडेक्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन' बनाने में अपना योगदान दिया।

अदिति ने एक राष्ट्रीय, गैर-लाभकारी, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और मानवीय संगठन के रूप में 'लोकोपकार' की स्थापना की। इसकी शैक्षिक, आत्म-विकास और मनोरंजक गतिविधियाँ तनाव को खत्म करने और सामाजिकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए शक्तिशाली उपकरण प्रदान करती हैं।

अदिति बचपन से ही खेल-कूद व कला क्षेत्र में भी अच्छा हस्तछेप रखती है व वो राष्ट्रस्तरीय बैडमिंटन खिलाडी भी रह चुकी है| उनका मानना यह है की इंसान को ज्ञान व अनुभव के लिए कार्य करना चाहिए, और जो भी कार्य करे हम उससे स्वयं के परोपकार के साथ समाज व socities moral’s का भी परोपकार हो |